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Mughal Harem: मुगल हरम के नाम पर जमकर अय्याशी करते थे मुगल बादशाह, सुबह तक रानियों की बिगड़ जाती थी चाल

मुगल बादशाहों ने भारत पर कई दशक तक शासन किया। इस शासनकाल में, उन्होंने कई ऐसे नियम और कानून बनाए जिनके बारे में आज भी चर्चा होती है। इसके साथ ही, सुल्तान के प्रोटोकॉल और राजनीतिक शैली भी भारतीय राजाओं से अलग थी।
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मुगल बादशाहों ने भारत पर कई दशक तक शासन किया। इस शासनकाल में, उन्होंने कई ऐसे नियम और कानून बनाए जिनके बारे में आज भी चर्चा होती है। इसके साथ ही, सुल्तान के प्रोटोकॉल और राजनीतिक शैली भी भारतीय राजाओं से अलग थी। आज हम आपको उन वक्त के मुगल बादशाहों के हरम के बारे में बताएँगे।

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हम इस लेख में विस्तार से बताएंगे कि मुगल हरम की सच्चाई क्या थी और उसमें क्या-क्या होता था। आसान शब्दों में, हरम एक ऐसी जगह थी जहां मुगल बादशाह से जुड़ी औरतें रहती थीं, खासतौर से उनकी बेगम। जिस महल में मुगल बादशाह की तमाम बेगमें रहती थीं, उसे हम हरम कहते थे।

हरम में किसी और पुरुष को आने की इजाजत नहीं थी। मुगल राज्य के शासक अकबर ने भारत में हरम बनाने की प्रक्रिया की शुरुआत की थी। जहांगीर के शासनकाल में हरम बनाने की प्रक्रिया तेज़ की गई और बेहद धूर्त और शातिर तरीकों से इसे संचालित किया गया।

औरंगजेब के आते आते मुगल हरम की परंपरा को खत्म कर दिया गया। हरम में बादशाह ज्यादातर अपनी खास बेगमों के साथ समय बिताने जाया करते थे। यहां बेगमों की एक अलग तरह की राजनीति चलती थी और उन्होंने राज्य के मामलों में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।

हरम की सुरक्षा के लिए किन्नरों की नियुक्ति की जाती थी ताकि किसी भी आशंका का सामना न करना पड़े। इसीलिए, मुगल हरम एक रहस्यमय और रुचिकर अंश था जो मुगल समाज, संस्कृति, और राजनीतिक प्रक्रियाओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था।

इसे समझने के लिए विभिन्न इतिहासिक संस्थानों के लेखों, किताबों, और शोध पत्रिकाओं का सहारा लेना सुझाव दिया जाता है। यह आपको मुगल हरम और उसके विकास की गहराई को समझने में मदद करेगा।