home page

सोना खरीदने और बेचने के नियमों में सरकार ने किया बड़ा बदलाव, ज्वैलरी शॉप पर जाने से पहले जान ले नए नियम

हमारे देश में सोना सिर्फ श्रृंगार के लिए नहीं खरीदा जाता, बल्कि आर्थिक परेशानी के वक्त ये मुश्किल का साथी होता है। सोना खरीदना शुभ माना जाता है। सालों-साल, पीढ़ी दर पीढ़ी सोना एक से दूसरे तक पहुंचता है।
 | 
Gold Hallmarking New Rules
   

हमारे देश में सोना सिर्फ श्रृंगार के लिए नहीं खरीदा जाता, बल्कि आर्थिक परेशानी के वक्त ये मुश्किल का साथी होता है। सोना खरीदना शुभ माना जाता है। सालों-साल, पीढ़ी दर पीढ़ी सोना एक से दूसरे तक पहुंचता है। जिन सोने को हम तिजोरी में संभाल कर रखते हैं, उससे जुड़े नियम में बड़ा बदलाव हुआ है।

हमारा Whatsapp ग्रूप जॉइन करें Join Now

सोने की खरीदारी-बिक्री के नियम बदल गए हैं। 1 अप्रैल 2023 से ही नए नियम लागू हो गए हैं। लेकिन अभी भी कई लोग इन नियमों से बेखबर है। सोने से जुड़े नए नियम की जानकारी का होने पर आपको नुकसान हो सकता है। इसलिए इसे जानना जरूरी है।

​बदल चुका है सोना खरीदने का नियम

सोना खरीदते समय उसकी शुद्धता को लेकर हमेशा मन में सवाल उठते रहे हैं। इस चिंता को खत्म करने के लिए सरकार ने हॉलमार्क को अनिवार्य कर दिया है। पहले 4 अंक वाले हॉलमार्क था, जिसे 1 अप्रैल 2023 से बदलकर 6 अंकों वाला HUID नंबर कर दिया गया है।

भारतीय मानक ब्यूरो ने 6 डिजिट के शब्दों और अंकों के हॉलमार्क वाले विशेष पहचान संख्या को अनिवार्य कर दिया है। बिना इसके कोई भी ज्वैलर्स सोने के गहने या सिक्के नहीं बेच सकेगा।

​बिना इस नंबर के सोना बेचने पर होगा एक्शन

बीआईएस ने 4 डिजिट वाले पुराने हॉलमार्क को बदलकर 6 डिजिट के एचयूआईडी को अनिवार्य कर दिया है। 1 अप्रैल से 6 अंकों वाले HUID नंबर के बिना सोने के गहने या सिक्के बेचने पर ज्वैलर्स के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। जिसमें सजा और जुर्माने दोनों का प्रावधान है।

​घर में रखें पुराने गहनों का क्या

आप सोच रहे होंगे कि घर की अलमारी में रखे पुराने गहनों का क्या होगा? उन गहनों का क्या होगा, जिनपर 6 अंकों वाला HUID नंबर नहीं है। क्या बिना इस नंबर वाले गहने नहीं बेच सकेंगे। जिन लोगों के पास पुरानी या बिना हॉलमार्क वाली जूलरी है, उनके पास अब सिर्फ दो विकल्प है।

पहला विकल्प ये कि वो आप किसी BIS रजिस्टर्ड ज्लैवर के पास जाएं और उसके पास अपने पुराने गहने का हॉलमार्किंग करवाएं। दूसरा विकल्प आप अपनी जूलरी की जांच BIS मान्यता प्राप्त एसेइंग और हॉलमार्किंग सेंटर से करवाएं और अपने गहने पर हॉलमार्क लगवाएं।

कितना आएगा खर्च

पुराने गहने को बेचने या बदलने के लिए सोने की हॉलमार्किंग जरूरी है। इसके लिए आपको मामूली रकम खर्च करनी पड़ेगी। जब आप बीआईएस पंजीकृत जौहरी के पास अपने पुराने गहने लेकर जाएंगे वो आपके गहनों को लकेर बीआईएस एसेइंग और हॉलमार्किंग सेंचर लेकर जाएगा।

आपको जितने गहनों पर हॉलमार्किंग करवानी है हर पीस के लिए 45 रुपये खर्च करने होंगे। पहले ये शुल्क 35 रुपये था, जिसे बढ़ाकर 45 रुपये कर दिया गया। बीआईएस सेंटर पर अलग-अलग मानकों और दिशानिर्देशों के आधार पर सोने की जांच होगी और फिर उसका सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा।

आप जब कभी इस सोने की गहने को बेचना या बदलना चाहेंगे आपको वो सर्टिफिकेट दिखाना होगा। गौरतलब है कि 16 जून 2021 से भारत में सोने की हॉलमार्किंग अनिवार्य है। हालांकि इसमें कुछ छूट भी मिली है।

​इन्हें मिली है छूट

भारत में सोने की हॉलमार्किंग अनिवार्य हैं। हालांकि इसमें कुछ छूट भी मिली है। जिन ज्वैलर्स का सालाना कारोबार 40 लाख रुपये तक का है, उन्हें राहत मिली है। वहीं 2 ग्राम से कम के सोने के बेचने पर हॉलमार्क का नियम लागू नहीं है।

प्रदर्शनियों के लिए बनाए गए गहनों पर हॉलमार्क की छूट है। इसके अलावा सोने की घड़ियां, फाउंटेन पेन या स्पेशल गहने जिनमें कुंदन , पोल्की या जड़ाऊ काम शामिल है उनपर ये नियम लागू नहीं होता है।

​हॉलमार्क से क्या फायदा

हॉलमार्क का फायदा ग्राहकों को सबसे ज्यादा होना है। हॉलमार्क वाले गहनों पर भारतीय मानक ब्यूरो का लोगो लगा होता है जिसपर यह भी जानकारी दी गई होती है की वो सोने की जुलरी कितने कैरेट की है।

हॉलमार्क गोल्ड में बीआईएस का मार्क दिया जाता है जो सोने की शुद्धता की गारंटी होता है। कैरेट और शुद्धता के अनुसार उनपर हॉलमार्किंग सेंटर के निशान होते हैं।