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जब बुजुर्ग पिता से काम होना हो गया बंद तो 24 साल की बेटी चलाने लगी नाई की दुकान, परिवार का पेट पालने के लिए हर रोज़ मर्दों की करती है कटिंग और शेविंग

कभी आपने ऐसा सुना है कि कोई लड़की मेल पार्लर चला रही हो। आमतौर पर देखा जाता है कि फीमेल पार्लर पर मेल काम करते हैं। लेकिन मेल पार्लर पर कभी किसी फीमेल को काम करते नहीं ही देखा होगा।
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कभी आपने ऐसा सुना है कि कोई लड़की मेल पार्लर चला रही हो। आमतौर पर देखा जाता है कि फीमेल पार्लर पर मेल काम करते हैं। लेकिन मेल पार्लर पर कभी किसी फीमेल को काम करते नहीं ही देखा होगा। खबर है ओडिशा से। यहां की रहने वाली सस्मिता बारिक ने इस धारणा को तोड़ा है। वो 24 साल की हैं और एक नाई की दुकान चलाती हैं।

सड़क किनारे शुरू किया था सैलून

सस्मिता, सलेपुर ब्लॉक में दुकान चलाती हैं। वो शेविंग, मूंछ के अलग-अलग स्टाइल, फेशियल, ब्लीच, स्पा और फेस वॉश के मामले में विशेषज्ञ हैं। तीन बहनों में सबसे छोटी सस्मिता ही हैं। आठ साल पहले की बात है। बहुग्राम बाजार में कटक-केंद्रपाड़ा स्टेट हाईवे के किनारे उन्होंने सैलून शुरू किया था।

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परिवार का बेटा हैं वो

उनके पिता की उम्र 55 वर्षीय है। पिता नारायण बारिक और 80 वर्षीय बीमार दादी सुमित्रा के लिए, सुस्मिता परिवार का बेटा ही हैं। उन्होंने अपनी बहनों की शादी के खर्च को पूरा करने में पिता की मदद की। अब वो परिवार का भी ख्याल रखती हैं।

आगे नहीं कर पढ़ाई

मैट्रिक के बाद ही उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी थी। उन्होंने कम उम्र में ही परिवार की जिम्मेदारी ले ली थी। उन्होंने बताया कि मां प्रमिला बारिक की 10 साल पहले मृत्यु हो गई और बाद में दादा जी का भी निधन हो गया। पारिवार को ध्यान में रखते हुए उन्होंने यह कदम उठाया।

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पहले आती थी शर्म

सस्मिता ने बताया कि शुरू में उनके पिता पुरुषों के बाल और नाखून काटते थे। जबकि वो मौत की रस्म के दौरान महिलाओं के नाखून काटती थी। लेकिन अब पिता काम नहीं कर पा रहे हैं, तो उन्हें दोनों काम संभालने पड़े। पहले को काफी मुश्किलें सामने आई। वो कहती हैं, ‘शुरुआत में तो मुझे पुरुषों के बाल और नाखून काटने में शर्म आती थी लेकिन मैं बहुत जल्द ही खत्म हो गई।’

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भाई ने सिखाए अलग-अलग स्टाइल

बता दें कि सस्मिता ने बगल के सिघमापुर गांव के अपने चचेरे भाई तपन बारिक ने उन्हें बाल काटने, शेविंग करने और मूंछों के अलग-अलग स्टाइल बनाने के तरीके सिखाए हैं। जिसके बाद उन्होंने अपनी नाई की दुकान खोल ली। फिलहाल इसी दुकान से उनके परिवार का खर्च चल रहा है।

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