Chanakya Niti: शादी के बाद भी चरित्रहीन औरतें नही छोड़ती अपनी ये आदतें, खुद को संतुष्ट करने के चक्कर में कर देती है बड़ा कांड

महान आचार्य चाणक्य ने मनुष्य के चरित्र, उसके जीवन और उसकी आदतों के विषय में विस्तार से लिखा। उन्होंने यह स्पष्ट रूप से बताया कि हमें कौन सी आदतों को स्वीकार करना चाहिए और किन आदतों को तुरंत त्याग देना चाहिए। 
 

महान आचार्य चाणक्य ने मनुष्य के चरित्र, उसके जीवन और उसकी आदतों के विषय में विस्तार से लिखा। उन्होंने यह स्पष्ट रूप से बताया कि हमें कौन सी आदतों को स्वीकार करना चाहिए और किन आदतों को तुरंत त्याग देना चाहिए जिससे हम एक सफल और सुखी जीवन व्यतीत कर सकें।

अपने नीति शास्त्र चाणक्य नीति में वे कुछ ऐसी आदतों का ज़िक्र करते हैं जिनको महिलाओं को तुरंत त्याग देना चाहिए जिससे उनका जीवन सुखी रह सके। आइये जानते हैं कौन सी वह बातें जिनको अपने व्यवहार से हटाकर महिलायें बेहतर जीवन जी सकती हैं।  

बीमारियों को छुपाना 

मानव इतिहास से ही महिलाओं पर घर के सदस्यों की देख रेख और गृह व्यवस्था संभालने की ज़िम्मेदारी रही है। घर के बच्चों, बुजुर्गों, और अन्य सदस्यों की देख रेख में उनका सारा समय निकल जाता है। पूरे दिन के कार्यों के करण कई बार वे बीमार भी पड़ जाती हैं।

लेकिन उनकी जिम्मेदारियों में कोई बाधा न पड़ जाए इसलिए वे अपनी बीमारियों या तकलीफों का ज़िक्र किसी से नहीं करती हैं। चाणक्य यह सलाह देते हैं कि बीमारी का सही समय पर इलाज आवश्यक होता है, इसलिए महिलाओं को अपने तबियत के बारें में छुपाना नहीं चाहिए। 

हर बात को स्वीकारना 

महिलायें घर-परिवार का आधार होती हैं। परिवार की सुख शांति के लिए वे सदस्यों और विशेषकर अपने पति की हर बात को स्वीकार करती हैं। कई बार गलत बातों या जिन बातों पर वे असहमत होती हैं, उनपर भी हामी भर देती हैं, ताकि परिवार में किसी भी प्रकार का संघर्ष न हो।

चाणक्य के अनुसार यह न केवल महिलाओं के लिए बल्कि पूरे परिवार के लिए हानिकारक हो सकती है। इसलिए महिलाओं को अपनी असहमति भी दर्ज करानी चाहिए ताकि पूरे परिवार के हित में फैसले लिए जा सके। 

झूठ बोलना 

कई महिलाएं धन, अपनी इच्छाओं के बारे में और परिवार में लड़ाइयों को रोकने के लिए झूठ का सहारा लेती हैं। चाणक्य सलाह देते हैं कि झूठ कभी किसी का भला नहीं करता।

बल्कि महिलाओं के ये झूठ उनको और उनके परिवार को किसी बड़े संकट में भी डाल सकते हैं। इसलिए महिलाओं को निडरता और दृढ़ता से सदस्यों के सामने सच ही बोलना चाहिए।