4KM की लंबी सुरंग से होकर गुजरेगा दिल्ली- मुंबई एक्सप्रेसवे, पहाड़ों को चीरती हुई सुरंग से पूरा होगा मुंबई का सफर

दिल्ली और मुंबई के बीच नवनिर्मित एक्सप्रेसवे न केवल दूरी को कम करेगा बल्कि यात्रा के समय को भी आधा कर देगा। इस विशाल परियोजना को नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) के द्वारा कई खंडों में बड़ी....
 

दिल्ली और मुंबई के बीच नवनिर्मित एक्सप्रेसवे न केवल दूरी को कम करेगा बल्कि यात्रा के समय को भी आधा कर देगा। इस विशाल परियोजना को नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) के द्वारा कई खंडों में बड़ी सफलतापूर्वक तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है।

मध्य प्रदेश से महाराष्ट्र के बीच बन रहे इस खंड में माथेरन हिल्स की इको-सेंसिटिव जोन को पार करने के लिए एक विशेष टनल का निर्माण किया जा रहा है। दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे का निर्माण न केवल यात्रा को सरल बनाने में मदद करेगा बल्कि यह पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने के लिए भी एक मिसाल कायम करेगा।

ये भी पढ़िए :- अगर कोई आदमी 25 दिनों तक ब्रश ना करे तो उसके दांतों पर क्या पड़ेगा असर, क्या सच में अपने आप टूटने लगेंगे दांत

इसके साथ ही यह प्रोजेक्ट आसपास के क्षेत्रों के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और स्थानीय नागरिकों के लिए नई अवसरों के द्वार खोलेगा। इस प्रकार यह एक्सप्रेसवे भारत के आधुनिकीकरण और समग्र विकास की एक नई दिशा प्रदान करेगा।

टनल की विशेषताएं और चुनौतियाँ

इस 8 लेन की टनल को बनाने में विशेष रणनीति अपनाई गई है। टनल इतनी विशाल होगी कि इसमें आने-जाने के लिए दोनों ओर चार-चार लेन उपलब्ध होंगी। यह सुरंग न केवल यात्रा को सुविधाजनक बनाएगी बल्कि माथेरन हिल्‍स के प्राकृतिक सौंदर्य को भी बनाए रखने में मदद करेगी जो कि एक इको-सेंसिटिव जोन है।

पर्यावरणीय संतुलन का महत्व

माथेरन हिल्‍स जो कि मुंबई और पुणे के लोगों के लिए एक लोकप्रिय पिकनिक स्थल है में वन्यजीवों की प्रचुरता है। इस क्षेत्र में हिरण लंगूर और मालाबार रीजन की बड़ी गिलहरियाँ सहित विभिन्न प्रकार के जंगली जीव निवास करते हैं।

इस कारण यहाँ सुरंग निर्माण कार्य विशेष चुनौतियाँ प्रस्तुत करता है। पर्यावरणीय मंजूरियों के साथ यहां की वन्य जीवन की सुरक्षा और उनके लिए उपयुक्त आवास बनाने के उपाय भी किए जा रहे हैं।

ये भी पढ़िए :- मुगलों से खुद को बचाने के लिए हिंदू महिलाएं पहनती थी ये खास चीज, फिर पास आने से भी खौफ खाते थे मुगल

निर्माण की गति और अपेक्षाएं

एनएचएआई के अनुसार इस 4 किलोमीटर लंबी सुरंग का काम इस वर्ष के अंत तक पूरा होने की संभावना है। सुरंग के ऊपर की मुख्य पहाड़ी जंगली जानवरों से भरपूर है और सुरंग के बाहरी इलाके में भी जंगली जीवों से बचाव के लिए विशेष प्रबंध किए जा रहे हैं।