भारत के इस शराब के आगे विदेशी ब्रैंड्स ने टेक दिए घुटने, शराब के शौकीन लोगों को आ रही खूब पसंद

भारतीय व्हिस्की बाजार में हाल ही में एक महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिला है। पहली बार देशी कंपनियों ने सिंगल माल्ट व्हिस्की के मामले में विदेशी ब्रांड्स को पछाड़ दिया है। कनफेडरेशन ऑफ इंडियन अल्कोहॉलिक बेवरेज कंपनीज (CIABC) के अनुसार 2023 में सिंगल माल्ट्स की बिक्री में घरेलू ब्रांड्स की हिस्सेदारी 53% तक पहुंच गई जो कि कुल 6,75,000 केसेज में से 3,45,000 केस थी।
 

भारतीय व्हिस्की बाजार में हाल ही में एक महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिला है। पहली बार देशी कंपनियों ने सिंगल माल्ट व्हिस्की के मामले में विदेशी ब्रांड्स को पछाड़ दिया है। कनफेडरेशन ऑफ इंडियन अल्कोहॉलिक बेवरेज कंपनीज (CIABC) के अनुसार 2023 में सिंगल माल्ट्स की बिक्री में घरेलू ब्रांड्स की हिस्सेदारी 53% तक पहुंच गई जो कि कुल 6,75,000 केसेज में से 3,45,000 केस थी।

बढ़ोतरी की स्पीड 

घरेलू ब्रांड्स की बिक्री में बढ़ोतरी की दर पिछले साल के मुकाबले 23% रही जबकि आयातित ब्रांड्स की बिक्री में केवल 11% की बढ़ोतरी हुई। CIABC के डायरेक्टर जनरल विनोद गिरि के अनुसार यह उपलब्धि घरेलू ब्रांड्स के लिए मील का पत्थर साबित हो रही है।

भारतीय ब्रांड्स का प्रदर्शन

अमृत डिस्टिलरीज के जॉइंट एमडी त्रिविक्रम निकम ने उल्लेख किया कि पहले जहां भारतीय ब्रांड्स का मजाक उड़ाया जाता था वहीं अब वे गुणवत्ता और परिष्करण में किसी से कम नहीं हैं। बड़े विदेशी ब्रांड्स जैसे Glenlivet, Macallan और Lagavulin को भी अब भारतीय ब्रांड्स जैसे अमृत, पॉल जॉन, रामपुर और इंद्री ने टक्कर दी है।

बढ़ती प्रतिस्पर्धा और नए अवसर

दिग्गज विदेशी कंपनियां जैसे कि Diageo और Pernod Ricard भी अब भारतीय बाजार में अपने लोकल ब्रांड्स लॉन्च कर रही हैं। यह दर्शाता है कि 'मेड इन इंडिया' का जादू सिर चढ़कर बोल रहा है। युवा पीढ़ी नए प्रयोगों और अद्वितीय उत्पादों की मांग कर रही है जिससे बाजार में नए अवसर बढ़ रहे हैं।

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भारतीय ब्रांड्स की नई दिशा

जॉन डिस्टिलरीज के चेयरमैन पॉल पी जॉन का कहना है कि भारतीय कंपनियों की बढ़ती मौजूदगी ने विदेशी कंपनियों को चौंका दिया है। वे अब भारतीय ब्रांड्स की सफलता का अनुसरण करने की कोशिश में हैं। भारतीय ब्रांड्स ने इस धारणा को भी तोड़ा है कि केवल यूरोपियन ब्रांड्स ही सर्वश्रेष्ठ होते हैं।