Indian Railway: पहले पहुंची ट्रेन को रोककर लेट आ रही ट्रेन को पहले क्यों निकालते है रेलकर्मी, 90 प्रतिशत रैलकर्मियों को भी नही होती जानकारी

अक्सर आपने देखा होगा कि आपकी ट्रेन स्टेशन पर पहले आती है और आपके सामने वाले प्लेटफॉर्म पर आपके विपरीत दिशा से आने वाली ट्रेन पहले रवाना होती है।
 

अक्सर आपने देखा होगा कि आपकी ट्रेन स्टेशन पर पहले आती है और आपके सामने वाले प्लेटफॉर्म पर आपके विपरीत दिशा से आने वाली ट्रेन पहले रवाना होती है। जब आपकी ट्रेन का हॉल्ट टाइमिंग सिर्फ दो मिनट था, तो आपको सवाल उठाया होगा कि इसे इतनी देर खड़ा क्यों रखा गया? रेलवे कर्मचारियों को भी इसका कोई जवाब नहीं मिलता। स्टेशन मास्टर या सिग्नलिंग कर्मचारी इसकी जानकारी रखते हैं।

रेलवे सिग्नलिंग विभाग के पूर्व कर्मचारी राजेंद्र अग्निहोत्री ने कोरा पर इसका उत्तर दिया है। रेलवे के एक सेवानिवृत्त कर्मचारी ने बताया कि इसका कारण लाइन क्लियर नहीं होना है। उसने कहा कि एक लाइन वाले सेक्शन में ही ऐसा होता है। ऐसे हिस्से में, एक जगह पार करने वाली ट्रेनों को किसी स्टेशन पर रोककर एक-दूसरे से पार कराया जाता है। इसे क्रॉसिंग कहा जाता है।

उदाहरण से समझें

मान लीजिए कि A से B की ओर एक ट्रेन चल रही है। वहीं एक और ट्रेन C से B की ओर जाती है। इन तीनों स्टेशनों में एक सीध है। A पूर्व दिशा में है, C पश्चिम में है, और B उनके बीच में है। A से निकली ट्रेन अब B पर पहुंच गई। इस ट्रेन को लूप लाइन से प्लेटफॉर्म पर स्थानांतरित किया जाएगा। C दिशा से आने वाली ट्रेन को कुछ देर बाद दूसरी लूप लाइन पर खड़ा किया जाएगा और फिर उसे वहाँ से निकाल दिया जाएगा। A से वहां पहली ट्रेन कुछ मिनट बाद वहां से रवाना होगी। सवाल है कि ऐसा क्यों होता है?

क्या है कारण?

राजेंद्र अग्निहोत्री बताते हैं कि अधिकांश रेलवे कर्मचारियों को इसकी जानकारी नहीं होती। सिग्नलिंग विभाग या स्टेशन मास्टर ही इसे जानते हैं। उन्हें इसका कारण बताते हुए कहा कि A स्टेशन से चली ट्रेन C स्टेशन पर पहुंचते ही रास्ता क्लियर लेता है। अब C स्टेशन से आने वाली ट्रेन अपना मेटल टोकन लेकर स्टेशन से 2 मिनट बाद चली जाएगी और A स्टेशन की ओर जाएगी। विपरीत, A से ट्रेन के लिए मैटल टोकन लिया जाता है। मैटल टोकन लेने में दो से तीन मिनट लगते हैं।

स्टेशन ए से आई ट्रेन पहले पहुंचने के बावजूद बाद में वहां से निकलती है। सीधे शब्दों में, ट्रेन B स्टेशन पर पहुंचने से पहले स्टेशन C से क्लियरिंग टोकन लिया गया। A की ट्रेन पहले आ गई, लेकिन C की ट्रेन स्टेशन पर आकर खड़ी हुई तो टोकन लिया गया।

क्या होता है टोकन?

ट्रेन चालक या गार्ड एक गोला या टोकन लेकर चलते हैं। वह हर स्टेशन पर उसे स्टेशन मास्टर को देते हैं और फिर वहां से दूसरा टोकन लेते हैं। यह इस बात का संकेत है कि आगे की लाइन खाली है। A-B-C के उदाहरण में, C से आने वाली ट्रेन ने B पर स्टेशन मास्टर को टोकन दिया, फिर A से आने वाली ट्रेन के लिए C के स्टेशन मास्टर से लाइन क्लियर मांगी। यह सिर्फ क्लियर टोकन से दिया जाता है। टोकन को निकालने के लिए ब्लॉक उपकरण का उपयोग किया जाता है। टोकन मिलने पर ट्रेन ड्राईवर को दिया जाता है और ट्रेन चलती है।