जिस चीज को लोग कचरा समझते थे उसी को लड़के ने बनाया बिजनेस, आज इसी बिजनेस से हर महीने कर रहा है मोटी कमाई

बिहार अक्सर अपनी नकारात्मक छवि के लिए चर्चा में रहता है। चाहे वो घोटाले हों या शराब तस्करी कई बार ये मुद्दे राज्य की असली छवि को धूमिल कर देते हैं। लेकिन इसके बावजूद बिहार में क्षमता और प्रतिभा की कोई कमी नहीं है।
 

बिहार अक्सर अपनी नकारात्मक छवि के लिए चर्चा में रहता है। चाहे वो घोटाले हों या शराब तस्करी कई बार ये मुद्दे राज्य की असली छवि को धूमिल कर देते हैं। लेकिन इसके बावजूद बिहार में क्षमता और प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। राज्य से निकले कई प्रतिभाशाली लोग देश-विदेश में नाम रोशन कर रहे हैं और आज हम ऐसे ही एक उदाहरण पर प्रकाश डालेंगे।

नाज औजेर ने न केवल अपने लिए एक सफल करियर की नींव रखी बल्कि बिहार के युवाओं के लिए भी एक प्रेरणा का स्रोत बन गए हैं। उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि सकारात्मक परिवर्तन की दिशा में उठाया गया हर कदम महत्वपूर्ण होता है और प्रत्येक व्यक्ति के प्रयास से ही समाज में बदलाव संभव है।

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नई तकनीक की ओर एक कदम

मुज्जफरपुर के रहने वाले मोहम्मद नाज औजेर ने इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रोफेसर की नौकरी छोड़ने का साहसिक निर्णय लिया और अपने गांव में एक अनोखे कारोबार की शुरुआत की। उन्होंने मकई के छिलके जो आमतौर पर बेकार समझे जाते हैं से कुछ नया और उपयोगी बनाने का निश्चय किया।

नाज ने इन छिलकों से प्राकृतिक कप-प्लेट्स बनाना शुरू किया जिससे न केवल पर्यावरण को लाभ पहुंचा बल्कि उनका व्यापार भी फलने-फूलने लगा।

प्लास्टिक का इको-फ्रेंडली उत्पाद

आज के युग में जहां एक ओर प्लास्टिक के डिस्पोजेबल कप-प्लेट्स का चलन है वहीं नाज के ये इको-फ्रेंडली उत्पाद पर्यावरण के लिए एक बेहतर विकल्प साबित हो रहे हैं। प्लास्टिक युक्त डिस्पोजेबल के विपरीत मकई के छिलकों से बने ये कप-प्लेट्स बायोडिग्रेडेबल हैं और प्रकृति के लिए कोई नुकसान नहीं पहुंचाते।

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साहसिक कदम से सफलता की ओर

नाज ने जब इस कारोबार की शुरुआत की थी तब कई लोगों ने उनका मजाक उड़ाया था। लेकिन उनके दृढ़ निश्चय और कठिन परिश्रम ने उन्हें इस मुकाम पर पहुंचाया जहां उनके उत्पादों की मांग लगातार बढ़ रही है। नाज की कमाई में भी बढ़ोतरी हुई है और उन्होंने बिहार के नाम को एक नई पहचान दी है।