ऑफिस के टाइम में सबसे छिपकर ये अजीब काम करती थी लड़की, फिर कंपनी ने रंगे हाथो पकड़ा तो नौकरी से धोना पड़ा हाथ

वर्क फ्रॉम होम कर्मचार‍ियों की सहूल‍ियत के लिए है|लेकिन बहुत से लोग इसका अनजाने में फायदा उठाने लगे हैं।
 

वर्क फ्रॉम होम कर्मचार‍ियों की सहूल‍ियत के लिए है|लेकिन बहुत से लोग इसका अनजाने में फायदा उठाने लगे हैं। उन्हें लगता है कि कंपनी उनकी चालाकी को नियंत्रित नहीं कर सकेगी। एक महिला ने भी ऐसा ही सोचा था, लेकिन कंपनी का विचार उससे कहीं आगे था। कंपनी ने अपने लैपटॉप में ऐसा सॉफ्टवेयर डाल दिया जो मोहतरमा को पकड़ा और तुरंत निकाल दिया। आपको बता दें कि महीला अपने समय में ऐसे काम करती थीं कि कोई भी कंपनी ऐसा नहीं कर सकती।

न्यूयॉर्क पोस्ट ने बताया कि अमेरिका की रहने वाली सुजी शेखो एक इंश्योरेंस कंपनी में सलाहकार के पद पर काम करती थी। वह कंपनी से 18 साल से जुड़ी हुई थीं। काम फ्रॉम इन दिनों घर पर रहती थीं। बीमा दस्तावेज तैयार करना और समस्याओं को जल्दी हल करना उसका काम था।

उस समय, कम्पनी को शक हुआ कि वह काम के बीच में कुछ और कर रही थी। इससे कंपनी की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है। बिना किसी को बताए, कंपनी ने अपने लैपटॉप में एक "कीस्ट्रोक" सॉफ्टवेयर इंस्टॉल किया। पता चला कि मोहतरमा अपने काम के घंटों में कुछ और काम करती थीं। उन्हें जांच के बाद कंपनी ने बर्खास् त कर दिया।

49 दिन में 44 दिन समय पर काम नहीं

इसके खिलाफ सुजी शेखो ने फेयर वर्क कमीशन (एफडब्ल्यूसी) में श‍िकायत की. दावा किया कि कंपनी ने उसे योजना के तहत हटाया है. उसे मानसिक रूप से परेशान किया गया. इसल‍िए मुआवजा दिया जाए. मगर कमीशन ने उसकी बात को ठुकरा दिया.

कमीशन ने कहा, कीस्‍ट्रोक से पता चला कि अक्टूबर से दिसंबर तक 49 वर्किंग डे में 44 दिन तक सुजी ने तय घंटों में काम ही नहीं किया. 47 दिन देर से काम शुरू किया और 29 दिन तो समय से पहले ही बंद कर दिया. इतना ही नहीं, 4 दिन तो बिना बताए शून्‍य घंटे काम किया.

सिर्फ 60 घंटे कीबोर्ड चलाया

जिस दिन सुजी ने लॉग ऑन किया, उसकी “कीस्ट्रोक गतिविधि बहुत कम” थी। अक्टूबर में 117 घंटे, नवंबर में 143 घंटे और दिसंबर में सिर्फ 60 घंटे कीबोर्ड दबाने की पुष्टि हुई। उसने काम करते समय प्रति घंटे औसतन सिर्फ 54 बार कीबोर्ड दबाया, जबकि ऐसा हर दस मिनट में होना चाहिए।

वह काम के लिए कभी नहीं आई। मीटिंग में नहीं थी। नवंबर में इसकी वजह से उसे चेतावनी भी दी गई थी, लेकिन फिर भी कुछ नहीं बदला। शेखो यह सब सुनकर आश्चर्यचकित हो गई। लेकिन उसने फिर भी कहा कि वह ऑनलाइन रहती थी।

कम काम मिलता था, इसलिए काम कम होता था। कमीशन के उपाध्यक्ष थॉमस रॉबर्ट्स ने कहा कि सबूतों से पता चलता है कि शेखो अपने निर्धारित कार्य घंटों के दौरान काम नहीं कर रही थी। वह अपने फोन को दूसरे काम में लगा रही थीं। उसे बर्खास् त करना सही निर्णय है।