अनोखा वैज्ञानिक जिसने सांप के जहर की दवाई ढूँढने के लिए दे दी थी अपनी जान, जाने क्या है पूरा मामला
हमारे भारत देश में आज भी ऐसे कई लोग हैं जो देश की सेवा की ओर अपनी जान की परवाह भी नहीं करते हैं। आज हम आपको यह कैसे वैज्ञानिक के बारे में बता रहे हैं जिन्होंने सांप के जहर का इलाज ढूंढने के लिए अपनी खुद की जान दे दी।
हम बात कर रहे हैं डॉक्टर स्मित की जिन्होंने बम स्लैंग सांप के जहर का एंटीडोट बनाने के लिए अपनी जान गवा दी। आपको बता दे की 1957 का दौर ऐसा था जब दुनिया भर में नई-नई तरह की दवाइयां की खोज की जा रही थी लोग कई तरह के जहर का एंटीडोट भी ढूंढ रहे थे।
आपको बता दें कि, श्मिट दुनिया के सबसे जहरीले सांपों में से एक बूमस्लैंग के लिए एक मारक औषधि बनाना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने काफी कोशिशें की लेकिन जब अंत तक उन्हें सफलता नहीं मिली तो उन्होंने ऐसा फैसला लिया जो चिकित्सा जगत में इतिहास बन गया।
उन्होंने इस सांप के जहर की दवा बनाने के लिए खुद को इससे कटवाया। सांप के काटने के बाद उनके साथ जो कुछ भी हुआ, आपको बता दे कि इन्होंने अपनी जिंदगी के सारे अनुभव एक डायरी में लिखे वही अपने जीवन के अंत में सांप के काटने के लिए एंटीडोट ढूंढने के बाद उनकी मौत हो गई।
ऐसा रहा सांप के काटने का अनुभव
25 सितंबर 1957 में डॉक्टर ने पहली बार खुद को सांप से हिस्ट्री म्यूजियम में कटवाए। सांप के काटने के कई समय बाद तक वह होश में रहे थे। इसके बाद उन्होंने अपने अनुभव लिखे जिसमें उन्हें सांप के काटने के कुछ समय बाद ही उल्टी जैसा महसूस हुआ।
फिर शाम को उन्हें ठंड लगने लगी और धीरे-धीरे रात होते ही शरीर बुखार से तपने लग गया इतना ही नहीं उन्होंने डायरी में यह भी लिखा है कि जब वह रात में पेशाब करने उठे तो उनके बाथरूम में उन्हें खून नजर आने लगा।
बिगड़ना लग गई स्थिति
इतना ही नहीं यह भी जान लीजिए कि सांप के काटने के बाद मसूड़े से खून तक आने लगा दूसरे दिन उनके मुंह और नाक से खून निकलने लगा। धीरे-धीरे जब उनकी स्थिति बिगड़ने लग गई तो उनकी पत्नी को फोन करके सारी बात बताई गई।
पत्नी ने तुरंत आपातकालीन मदद के लिए फोन किया और उन्हें अस्पताल ले जाया गया लेकिन उनकी मौत हो गई। पोस्टमॉर्टम के बाद डॉक्टरों ने पाया कि सांप के जहर के कारण डॉ. श्मिट के फेफड़े, आंखें, दिल, किडनी और दिमाग के अंदर खून का रिसाव होने लगा था, जिससे उनकी मौत हो गई।