home page

टूटी हुई सड़कों को रियेपर करवाना हुई गुजरे दौर की बात, इस नई तकनीक से अपने आप सड़के होंगी रिपेयर

भारत में सड़कों की खस्ताहाल स्थिति ने नागरिकों की चिंताएँ बढ़ाई हैं। बढ़ती आबादी और वाहनों के दबाव में ये सड़कें अक्सर टूट-फूट का शिकार हो जाती हैं। इससे न केवल यात्रा में असुविधा होती है बल्कि दुर्घटनाओं का खतरा भी बढ़ जाता है।
 | 
nhai-planning-to-adopt-new-technology
   

भारत में सड़कों की खस्ताहाल स्थिति ने नागरिकों की चिंताएँ बढ़ाई हैं। बढ़ती आबादी और वाहनों के दबाव में ये सड़कें अक्सर टूट-फूट का शिकार हो जाती हैं। इससे न केवल यात्रा में असुविधा होती है बल्कि दुर्घटनाओं का खतरा भी बढ़ जाता है।

ऐसे में एक ऐसी तकनीक का विकास जो सड़कों को खुद ब खुद मरम्मत करने में सक्षम बनाए निश्चित रूप से एक क्रांतिकारी कदम होगा। अगर यह तकनीक सफलतापूर्वक लागू हो जाती है तो यह न केवल सड़कों की समस्या को हल करेगी।

हमारा Whatsapp ग्रूप जॉइन करें Join Now

ये भी पढ़िए :- ज्वालामुखी की आग से बनाई जाती है महंगी शराब टकीला, बनाने का तरीका जानकर तो आप भी चौंक उठेंगे

बल्कि यह भविष्य के लिए एक उज्ज्वल नजरिया भी प्रदान करेगी जहाँ भारतीय सड़कें अंतर्राष्ट्रीय मानकों को पूरा कर सकेंगी। इस प्रकार NHAI की यह नई पहल सड़क सुरक्षा और दुरुस्ती में एक नवीन क्रांति साबित हो सकती है।

सेल्फ हीलिंग रोड्स 

राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ऑफ इंडिया (NHAI) ने इस समस्या का समाधान खोजते हुए सेल्फ हीलिंग रोड्स तकनीक की ओर कदम बढ़ाया है। इस तकनीक के अंतर्गत सड़कों में इस्तेमाल किया जाने वाला मिश्रण जिसे टूटने पर गर्म होकर फैलता है खुद को मरम्मत कर लेता है।

यह तकनीक न केवल सड़कों को दीर्घकालिक दुरुस्त बनाए रखने में मदद करेगी बल्कि रखरखाव पर आने वाले खर्चे को भी कम करेगी।

biggest-highway-in-india

तकनीक का कार्यान्वयन और उम्मीदें

एनएचएआई की योजना है कि इस तकनीक को शीघ्र ही व्यवहारिक रूप में लाया जाए। इसके लिए विशेष प्रकार के डामर और बिटुमेन का प्रयोग किया जाएगा जो सड़कों की आयु बढ़ाने के साथ-साथ उन्हें अधिक मजबूती प्रदान करेगा।

इस तकनीक के सफल कार्यान्वयन से भारतीय सड़क ढांचे में एक नया अध्याय जुड़ेगा जो वैश्विक स्तर पर भी एक मिसाल कायम करेगा।

ये भी पढ़िए :- इस देश में बहती है दुनिया कि सबसे पतली नदी, खड़े होकर कूदेंगे तो भी कर लेंगे पार

लागत और भविष्य के आकलन

हालांकि इस तकनीक का क्रियान्वयन महंगा साबित हो सकता है परन्तु सरकार इसके दीर्घकालिक लाभों का आकलन कर रही है। इस आकलन में यह देखा जाएगा कि यह तकनीक सड़कों की मरम्मत और देखरेख के खर्चों में कितनी कमी ला सकती है और किस हद तक यातायात को सुगम बना सकती है।