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जिंदगी में केवल शादी के दिन ही नहाना पसंद करती है ये औरतें, खुद को साफ करने के लिए करती है इस चीज का इस्तेमाल

विश्व के कई देशों में विविध जनजातियाँ अपनी अनूठी परंपराओं के लिए जानी जाती हैं। अफ्रीका महाद्वीप के नामीबिया देश में रहने वाली हिंबा जनजाति ऐसी ही एक अनोखी जनजाति है।
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विश्व के कई देशों में विविध जनजातियाँ अपनी अनूठी परंपराओं के लिए जानी जाती हैं। अफ्रीका महाद्वीप के नामीबिया देश में रहने वाली हिंबा जनजाति ऐसी ही एक अनोखी जनजाति है। हिंबा जनजाति के लोग अपनी जिंदगी में सिर्फ एक बार नहाते हैं वो भी अपने विवाह के दिन।

इस जनजाति में पानी का उपयोग निषेध है इसलिए वे अपने कपड़े भी धोने के लिए पानी का प्रयोग नहीं करते हैं। इस जनजाति की कुल आबादी लगभग 50,000 है और ये मुख्य रूप से कृषि में संलग्न रहते हैं। हिंबा जनजाति की ये विशेषताएं न केवल उनके जीवनशैली की झलक प्रदान करती हैं।

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बल्कि यह भी दर्शाती हैं कि कैसे प्राचीन परंपराएं और आधुनिकता के बीच संतुलन बनाकर एक समुदाय अपनी सांस्कृतिक पहचान को बनाए रख सकता है। इस तरह के अद्वितीय जीवनशैली का अध्ययन हमें न केवल विविधता की सराहना करना सिखाता है बल्कि यह भी बताता है कि मानव समाज कितना विविध और अद्भुत हो सकता है।

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स्वच्छता के अनूठे उपाय

हिंबा जनजाति के लोग नहाने के लिए पानी का उपयोग न करके धुएं का स्नान करते हैं जो उन्हें संक्रमण से बचाता है। इसके अलावा महिलाएं विशेष जड़ी-बूटियों को पानी में उबालकर उसकी भाप से खुद को साफ करती हैं।

जिससे उनके शरीर से किसी प्रकार की दुर्गन्ध नहीं आती। इसके साथ ही वे धूप से त्वचा की सुरक्षा के लिए जानवरों की चर्बी और खनिज हेमाटाइट से बना एक विशेष लोशन लगाती हैं।

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जन्म से जुड़ी खास परंपराएं

हिंबा जनजाति में बच्चे के जन्म को लेकर भी अनोखी परंपरा है। इस जनजाति की महिलाएं जब बच्चे के बारे में सोचना शुरू करती हैं उसी क्षण से बच्चे का जन्म मान लिया जाता है। महिलाएं इस दौरान पेड़ के नीचे बैठकर बच्चों से जुड़े गीत सुनती और गाती हैं।

इस प्रक्रिया में उनके साथी भी शामिल होते हैं। यह गीत बच्चे के जन्म से लेकर मृत्यु तक उसके साथ रहता है। यह परंपरा न सिर्फ जनजाति के लोगों की सामाजिक एकता को दर्शाती है बल्कि उनके गहरे आध्यात्मिक विश्वासों को भी प्रकट करती है।