ट्रेन ड्राइवर अगर गलती से रेड सिग्नल तोड़ दे तो क्या होगा, जाने क्या ऐक्शन लेता है रेल्वे
भारतीय रेलवे में रेड सिग्नल का पालन अत्यंत महत्वपूर्ण है। क्योंकि यह यात्रियों की सुरक्षा से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है। रेड सिग्नल यात्रा की लाइनों पर ट्रेन के आवागमन को नियंत्रित करता है। अगर कोई ट्रेन इस सिग्नल को नजरअंदाज करते हुए आगे बढ़ जाती है, तो इससे बड़े हादसे हो सकते हैं।
जैसे कि दूसरी ट्रेनों से टक्कर या पटरी से उतरना। भारतीय रेलवे ने अपनी सुरक्षा प्रणाली में काफी सुधार किया है। नई तकनीकी व्यवस्थाओं को अपनाने से रेलयात्रा न केवल सुगम हुई है बल्कि अधिक सुरक्षित भी हुई है। इस प्रकार रेलवे यात्री और उनके सामान की सुरक्षा सुनिश्चित करने में लगातार नए मानक स्थापित कर रहा है।
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ट्रेन ड्राइवर की प्रतिक्रियाशील क्षमता
ट्रेन ड्राइवर जिन्हें लोको पायलट के रूप में जाना जाता है, को विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि वे रेड सिग्नल पर तुरंत प्रतिक्रिया दे सकें। यह प्रशिक्षण उन्हें न केवल रेड सिग्नल पर रुकने की दिशा में सहायता करता है बल्कि आपात स्थिति में तत्काल निर्णय लेने की क्षमता भी प्रदान करता है।
रेड सिग्नल अनदेखी के तकनीकी समाधान
आधुनिक ट्रेनों में ट्रेन प्रोटेक्शन और वार्निंग सिस्टम (TPWS) लगाया गया है जो ट्रेन को अगर वह अनधिकृत रूप से रेड सिग्नल की ओर बढ़ रही हो तो ऑटोमेटिक रूप से रोक देता है। यह सिस्टम ट्रेनों को अनावश्यक दुर्घटनाओं से बचाने में कारगर साबित होता है।
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लोको पायलट के लिए सुरक्षा प्रोटोकॉल और दंड
यदि कोई लोको पायलट लगातार रेड सिग्नल की अनदेखी करता है, तो उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाती है। उन्हें दी जाने वाली मेमोरेंडम के आधार पर उनका डिमोशन भी हो सकता है। जिससे उनकी वेतन वृद्धि और प्रमोशन पर भी असर पड़ता है।