जिस खैनी को हथेली पर रगड़ रगड़कर खाते है लोग वो खेतों में होती है तैयार, जाने कैसे दिखते है खैनी के खेत

तंबाकू पीना स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। हर ऐसे उत्पाद जिसमे में तंबाकू का इस्तेमाल होता है उस पर स्पष्ट रूप से लिखा है कि इसके सेवन से कैंसर होता है। इसके बावजूद लोग इसे भारी मात्रा में खाते हैं।
 

तंबाकू पीना स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। हर ऐसे उत्पाद जिसमे में तंबाकू का इस्तेमाल होता है उस पर स्पष्ट रूप से लिखा है कि इसके सेवन से कैंसर होता है। इसके बावजूद लोग इसे भारी मात्रा में खाते हैं। भारत के कुछ राज्यों में  सिगरेट और गुटका के अलावा लोग इस तंबाकू को सीधे खाते हैं।

इसे "खैनी" कहा जाता है। यूपी और बिहार में आप लोगों को आसानी से खैनी खाते देखेंगे। खैनी तंबाकू को सीधे सुखाकर खाते हैं। तंबाकू के पत्ते सूखने पर काट लिया जाता है। इसके बाद इसे हथेली से रगड़कर पाउडर की तरह महीन बनाते हैं। फिर अपने होंठों के नीचे इसे दबा दें।

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बिहार के ग्रामीण इलाकों में खैनी खाने की आदत कुछ अधिक है। यह तंबाकू और सिगरेट की तुलना में सस्ता है, इसलिए लोग इसका काफी सेवन करते हैं।

क्या आपने कभी खैनी के खेत देखा है?

आजतक आपने बहुत से खेत देखा होगा। कहीं सब्जियां उगाई जाती हैं तो कहीं फूल। हालाँकि क्या आपने कभी खैनी की खेती की है? एक व्यक्ति ने खैनी के खेत का एक वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया। इसे देखकर लोग हैरान रह गए।

ये कई एकड़ जमीन पर खेती की जा रही थी। लोग तंबाकू के बड़े और हरे पत्तों से भरे इस खेत को देखकर हैरान हो गए। कई लोगों ने कमेंट में कहा कि उन्होंने खैनी को कभी इस तरह उगाते नहीं देखा था।

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बिहार में खेती

खैनी यानी तंबाकू बिहार में बहुत आम है। इसे यहां काफी उगाया जाता है। महुआ को उगाने के लिए परमिशन की तरह खेती नहीं होनी चाहिए। यही कारण है कि तंबाकू की खेती से किसान लाभ उठा रहे हैं।

जब तंबाकू तैयार हो जाती है तो उसे काटकर खेतों में ही दो से तीन दिन सुखाया जाता है। इसके बाद उन्हें ढंक दें। पौधों में जितनी अधिक नमी होती है, उतना अधिक तंबाकू अच्छा माना जाता है।